जनकपुरी जगन्नाथ धाम

जगत स्वामी श्री जगन्नाथ महाप्रभु की महिमा अपार है। प्रभु भक्तों के अंतर्मन में महाप्रभु के दर्शन की गहन अभिलाषा हमेशा रहती है।

जो भक्त प्रभु दर्शनार्थ श्री जगन्नाथ पुरी नहीं जा सकते उनके लिए महाप्रभु की कृपामयी प्रेरणा से पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी क्षेत्र में श्री जगन्नाथ धाम की स्थापना हो सकी।

जिस स्थान पर वर्तमान में जगन्नाथ धाम स्थापित है, पूर्व में इस स्थान पर 1952 से बनी प्राचीन दुर्गा (कात्यानी) शक्तिपीठ मंदिर विद्यमान था। सन् 2021 में इस मंदिर का पुनरुद्धार श्री ब्रह्ममाधव गौरेश्वराचार्य बृजरसिक महायोगी दण्डी सन्यासी महाराज (गुरू जी) के द्वारा कराया गया। आपके द्वारा इस मंदिर में श्री राधा रमन बिहारी गोडिया मठ की स्थापना की गई। मंदिर की सेवा व पुनरुद्धार के दौरान वर्ष 2023 में गुरूजी के अंतःकरण में प्रबल इच्छा हुई कि यहां पर श्री जगन्नाथ जी की स्थापना होनी चाहिए, ताकि जो भक्त किसी कारणवश जगन्नाथ पुरी की दूरस्थ यात्रा करने में अक्षम है वह यहां श्री जगन्नाथ जी के दर्शन कर महाप्रभु की साक्षात कृपा को प्राप्त कर सकें ।

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प्रभु जगन्नाथ जी की प्रेरणा मानते हुए 2 जून सन् 2023 में यहाँ श्री जगन्नाथ, श्री बलभद्र एवं माता सुभद्रा जी के विग्रह की स्थापना की गई। पुरी मंदिर के पुजारी श्री प्रभाकर त्रिपाठी के कर कमलों द्वारा लगातार एक माह तक पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना के पश्चात महाप्रभु जगन्नाथ जी दिल्ली के जनकपुरी जगन्नाथ धाम में विराजे। भक्तों की भावनाओ को सम्मुख रखते हुए वर्ष 2023 में श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन दिल्ली में किया गया। इस यात्रा का स्वरूप ठीक उसी तरह था जैसा कि जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का होता है।

दिल्ली के जनकपुरी जगन्नाथ धाम में महाप्रभु जगन्नाथ विग्रह स्थापना और रथयात्रा के बाद महसूस किया जाने लगा कि दिल्ली व उत्तर भारत के श्रद्धालुओं की जिज्ञासाओं को शांत करने व महाप्रभु की यश कीर्ति को भारत के हिंदी भाषी क्षेत्र व अन्य भागों में पहुंचाने के लिए हिंदी व अन्य भाषाओं में लिखित ऐसे साहित्य की आवश्यकता है जिससे प्रभु जगन्नाथ के विषय में जाना व समझा जा सके ।

श्री अक्षय ओझा द्वारा मूलतः उड़िया भाषा में लिखित पुस्तक है "मेरे प्रभु जगन्नाथ"। डॉ. रंजीत साहू द्वारा अंग्रेजी भाषा में अनुवादित होने के पश्चात इस पुस्तक को हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर आम जनमानस तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया।

हिंदी व पंजाबी भाषा में इसका अनुवाद आकाशवाणी प्रसारक सुखनन्दन बिन्द्रा जी के द्वारा महाप्रभु की प्रेरणा व अनंत कृपा के फलस्वरुप अब तक चार भाषाओं में अनुवादित ये पुस्तक शीघ्र ही सम्पूर्णता को प्राप्त होगी ऐसा दृढ़ विश्वास है।

श्री जगन्नाथ स्वामी के जीवन वृतांत, श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर की जानकारी व दैवीय चमत्कारों से सजी यह पुस्तक हिंदी भाषा में आपके सामने महायोगी महाराज (गुरुजी) के दिशा निर्देशन में प्रस्तुत है।

जनकपुरी जगन्नाथ धाम सर्वधर्म समभाव की परिकल्पना का संगठित देव स्थान है। महाप्रभु जगन्नाथ का विग्रह स्थापित होने के साथ-साथ इस स्थान पर 1952 में रचित, शक्ति अधिष्ठातत्री मां कात्यायनी की अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा भी मौजूद है। शक्ति भगवान जगन्नाथ की छाया है। जहां शक्ति है वहां भगवान जगन्नाथ स्वयं मौजूद होते हैं। इसीलिए यह स्थान शक्तिपीठ स्वरूप है